18 साल के भारतीय ग्रैंडमास्टर डी गुकेश ने सिंगापुर में वर्ल्ड चेस चैंपियनशिप का खिताब जीत लिया। उन्होंने चीन के डिफेंडिंग चैंपियन डिंग लिरेन को 7.5-6.5 से फाइनल में हराया।
🔸इतनी कम उम्र में खिताब जीतने वाले गुकेश दुनिया के पहले प्लेयर बने हैं। इससे पहले 1985 में रूस के गैरी कैस्परोव ने 22 साल की उम्र में यह खिताब जीता था।
गुकेश ने चीनी खिलाड़ी को 14वें गेम में हराकर यह टाइटल जीता। 25 नवंबर को चैंपियनशिप का फाइनल शुरू हुआ था, 11 दिसंबर तक दोनों के बीच 13 गेम खेले गए। स्कोर यहां 6.5-6.5 से बराबर था। गुकेश ने 14वां गेम जीता और एक पॉइंट की बढ़त लेकर स्कोर 7.5-6.5 कर दिया।
🔖 कौन हैं डी गुकेश?
🔸गुकेश डी का पूरा नाम डोम्माराजू गुकेश है।
🔸वह चेन्नई के रहने वाले हैं।
🔸गुकेश का जन्म चेन्नई में 7 मई 2006 को हुआ था।
🔸उन्होंने 7 साल की उम्र में ही शतरंज खेलना शुरू कर दिया था। उन्हें शुरू में भास्कर नागैया ने कोचिंग दी थी।
🔸नागैया इंटरनेशनल चेस खिलाड़ी रहे हैं और चेन्नई में चेस के होम ट्यूटर हैं।
🔸इसके बाद विश्वनाथन आनंद ने गुकेश को खेल की जानकारी देने के साथ कोचिंग दी।
🔸गुकेश के पिता डॉक्टर हैं और मां पेशे से माइक्रोबायोलॉजिस्ट हैं।
🔖 विश्वनाथन आनंद के बाद दूसरे भारतीय खिलाड़ी:
🔸गुकेश चेस के वर्ल्ड चैंपियन बनने वाले भारत के दूसरे ही प्लेयर बने।
🔸2012 में विश्वनाथन आनंद चेस चैंपियन बने थे।
🔸गुकेश ने 17 साल की उम्र में FIDE कैंडिडेट्स चेस टूर्नामेंट भी जीता था।
🔸तब वह इस खिताब को जीतने वाले भी सबसे युवा प्लेयर बन गए थे।
🔖 गुकेश को मिले 11.45 करोड़ रुपए:
🔸इंटरनेशनल चेस फेडरेशन (FIDE) के 138 साल के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब एशिया के 2 खिलाड़ी वर्ल्ड चैंपियन के खिताब के लिए आमने-सामने थे।
🔸क्लासिकल गेम में एक जीत पर प्लेयर को 1.69 करोड़ रुपए मिले।
🔸यानी 3 गेम जीतने पर गुकेश को 5.07 करोड़ और 2 गेम जीतने पर लिरेन को 3.38 करोड़ रुपए सीधे ही मिल गए।
🔸बाकी प्राइज मनी दोनों प्लेयर्स में बराबर बांटी गई, यानी गुकेश को 11.45 करोड़ और लिरेन को 9.75 करोड़ रुपए का इनाम मिला।
🔖 वर्ल्ड चेस चैंपियनशिप:
वर्ल्ड चेस चैंपियनशिप (World Chess Championship) शतरंज की दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित प्रतियोगिता है, जिसमें दुनिया के सर्वश्रेष्ठ शतरंज खिलाड़ी आपस में मुकाबला करते हैं। इसे अंतर्राष्ट्रीय शतरंज संघ (FIDE - Fédération Internationale des Échecs) आयोजित करता है। इस चैंपियनशिप का इतिहास, स्वरूप और महत्व शतरंज के खेल में अद्वितीय है।
🔖 इतिहास:
🔸शुरुआत: वर्ल्ड चेस चैंपियनशिप का पहला आधिकारिक मुकाबला 1886 में हुआ, जब विल्हेम स्टीनिट्ज़ और जोहान्स ज़ुकर्टॉर्ट के बीच मैच खेला गया। इसमें स्टीनिट्ज़ पहले विश्व चैंपियन बने।
🔸FIDE की स्थापना: 1924 में FIDE की स्थापना हुई, और 1948 से इस चैंपियनशिप का प्रबंधन FIDE द्वारा किया जा रहा है।
🔸महिला चैंपियनशिप: महिला वर्ल्ड चेस चैंपियनशिप की शुरुआत 1927 में हुई, और इसका पहला खिताब वेरा मेंचिक ने जीता।
🔸युवा चैंपियनशिप: इसके अतिरिक्त जूनियर और आयु वर्ग की विभिन्न चैंपियनशिप भी होती हैं।
🔖 चैंपियनशिप का स्वरूप:
🔸क्वालीफायर टूर्नामेंट्स: वर्ल्ड चेस चैंपियनशिप के लिए विभिन्न क्वालीफायर और कैन्डिडेट्स टूर्नामेंट होते हैं।
🔸कैन्डिडेट्स टूर्नामेंट: इसमें शीर्ष शतरंज खिलाड़ी भाग लेते हैं, और विजेता चैंपियनशिप के मौजूदा चैंपियन को चुनौती देता है।
🔸मुख्य मुकाबला: चैंपियनशिप में आमतौर पर 14-16 क्लासिकल फॉर्मेट के मैच खेले जाते हैं। यदि मुकाबला ड्रॉ होता है, तो टाईब्रेकर रैपिड और ब्लिट्ज मैचों के रूप में खेला जाता है।
🔖 महिला विश्व चैंपियनशिप:
🔸वर्तमान महिला चैंपियन (2024 तक): जू वेंजुन (चीन)
🔸महिला चैंपियनशिप में भी FIDE द्वारा नियमित आयोजन होता है।♟️
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