भारत का संविधान
संविधान भारत का सर्वोच्च कानून है। यह एक लिखित दस्तावेज है जो सरकार और उसके संगठनों के मौलिक बुनियादी संहिता, संरचना, प्रक्रियाओं, शक्तियों और कर्तव्यों और नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों का निर्धारण करने वाले ढांचे को निर्धारित करता है।
इसे 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा द्वारा अंगीकृत किया गया था और यह 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ। इसको अंगीकृत किये जाने के समय, संविधान में 395 अनुच्छेद और 8 अनुसूचियां थीं और इसमें लगभग 145,000 शब्द थे, जिससे यह अब तक का अंगीकृत किया जाने वाला सबसे लंबा राष्ट्रीय संविधान बन गया। संविधान के प्रत्येक अनुच्छेद पर संविधान सभा के सदस्यों द्वारा बहस की गई, जिनकी संविधान के निर्माण के लिए 2 वर्ष और 11 महीने की अवधि में 11 सत्रों में और 167 दिनों के दौरान बैठक हुई।
संविधान की प्रस्तावना भारत को एक संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित करती है और अपने नागरिकों को न्याय, समानता और स्वतंत्रता का आश्वासन देती है और बंधुत्व को बढ़ावा देने का प्रयास करती है।
संविधान सरकार के एक संसदीय स्वरूप का प्रावधान करता है जो कुछ एकात्मक विशेषताओं के साथ संरचना में संघीय है। संघ की कार्यकारिणी का संवैधानिक प्रमुख राष्ट्रपति होता है । भारत के संविधान के अनुच्छेद 79 के अनुसार, संघ की संसद की परिषद में राष्ट्रपति और दो सदन होते हैं ,जिन्हें कॉउंसिल ऑफ स्टेट्स (राज्य सभा) और हॉउस ऑफ द पीपल (लोकसभा) के रूप में जाना जाता है।
संविधान के अनुच्छेद 74 (1) में प्रावधान है कि राष्ट्रपति को सहायता और सलाह देने के लिए एक मंत्रिपरिषद होगी जिसका प्रधान, प्रधान मंत्री होगा और राष्ट्रपति अपने कृत्यों का प्रयोग करने में ऐसी सलाह के अनसार कार्य करेगा। इस प्रकार वास्तविक कार्यकारी शक्ति प्रधान मंत्री की अध्यक्षता वाली मंत्रिपरिषद में निहित होती है ।
भारतीय संविधान के बारे में रोचक तथ्य:
डॉ भीम राव अम्बेडकर को भारतीय संविधान का मुख्य रचनाकार माना जाता है। भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद भारत के संविधान पर हस्ताक्षर करने वाले पहले व्यक्ति बने। यह विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान है। भारत का संविधान न तो मुद्रित है और न ही टंकित है। यह हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में हस्तलिखित और सुलेखित है। इसे श्री प्रेम बिहारी नारायण रायज़ादा द्वारा हस्तलिखित किया गया था और उनके द्वारा देहरादून में प्रकाशित किया गया था। प्रत्येक पृष्ठ को शांतिनिकेतन के कलाकारों द्वारा सजाया गया, जिनमें बेहर राममनोहर सिन्हा और नंदला बोस शामिल हैं। अंतिम प्रारूप को पूरा करने में दो वर्ष, 11 महीने और 18 दिन लगे। वर्तमान में, इसमें 395 अनुच्छेद और 12 अनुसूचियां हैं। आज की तिथि तक, संविधान में 105 बार संशोधन किया जा चुका है।
संसद
भारत के संविधान का स्वरूप गणतंत्रीय तथा ढांचा संघीय है और उसमें संसदीय प्रणाली के प्रमुख तत्व विद्यमान हैं । इसमें संघ के लिये एक संसद का प्रावधान है जिसमें राष्ट्रपति और दो सदन अर्थात् राज्य सभा ( काउंसिल ऑफ स्टेट्स ) और लोक सभा ( हाउस ऑफ दी पीपल ) सम्मिलित हैं ; इसमें संघ की कार्यपालिका का भी प्रावधान है जो संसद के दोनों सदनों के सदस्यों में से सदस्य लेकर बनती है और वह सामूहिक रूप से लोक सभा के प्रति उत्तरदायी होती है , इस प्रकार संघ की कार्यपालिका और संसद के बीच घनिष्ठ संबंध सुनिश्चित हो जाता है ;
इसमें यह भी प्रावधान है कि एक राज्याध्यक्ष होगा जिसे भारत का राष्ट्रपति कहा जाएगा और वह केन्द्रीय मंत्रिपरिषद की सहायता तथा सलाह से काम करेगा ; भारतीय संविधान में अनेक राज्यों का प्रावधान है जिनकी कार्यपालिकाओं और राज्य विधानमंडलों के बारे में वैसे ही मूल उपबन्ध हैं जैसे कि संघ के बारे में हैं ; संविधान में विधि सम्मत शासन की व्यवस्था है तथा इसमें एक स्वतंत्र न्यायपालिका की और एक स्थायी सिविल सेवा की व्यवस्था है । भारत की संसद प्रभुसत्ता सम्पन्न निकाय नहीं है , यह एक लिखित संविधान की सीमाओं के अन्तर्गत कार्य करती है ।
इसके विधायी प्राधिकार पर दो प्रकार की सीमाएं हैं , एक तो यह कि संघ और राज्यों के बीच शक्तियों का बंटवारा किया गया है और दूसरी यह कि संविधान में न्याय्य मौलिक अधिकारों का समावेश है तथा न्यायिक पुनरीक्षण का प्रावधान है जिसका अर्थ यह है कि संसद द्वारा पारित सभी विधियां अनिवार्यतः संविधान के उपबन्धों के अनुसार होनी चाहिए और उनकी संवैधानिकता की जांच एक स्वतंत्र न्यायपालिका द्वारा की जा सकती है । इन सब उपबंधों से संसद के प्राधिकार तथा अधिकार क्षेत्र के स्वरूप तथा विस्तार का पता चलता है ।
• भारत की सबसे बड़ी कानून बनाने वाली सभा संसद है, जिसमें राष्ट्रपति, लोकसभा और राज्य सभा सम्मिलित हैं।
• एडविन लुटियंस और हर्बर्ट बेकर नामक वास्तुकारों ने संसद भवन की रूपरेखा तैयार की थी। संसद भवन के निर्माण हेतु शिलान्यास 12 फरवरी, 1921 को किया गया था। इसका निर्माण कार्य छह वर्ष बाद 18 जनवरी 1927 को पूरा हुआ था।
• संसद भवन का उद्घाटन तत्कालीन भारतीय वायसराय लॉर्ड इरविन ने किया था। संसद परिसर का क्षेत्रफल लगभग 6 एकड़ है। संसद में प्रवेश के लिए 12 दरवाजे हैं। केन्द्रीय कक्ष संसद भवन के बीच में है। केन्द्रीय कक्ष में ही 15 अगस्त, 1947 को भारतीयों को ब्रिटिश शासन का हस्तांतरण किया गया था।
• संसद में लोकसभा कक्ष का क्षेत्रफल 446 वर्ग मीटर है। लोकसभा में सीटों की व्यवस्था ‘हॉर्स शेड’ के रूप में की गई है। लोकसभा के सदस्यों के लिए लगभग 550 सीटें हैं। लोकसभा के फर्श पर हरे रंग का कालीन बिछा हुआ है। सत्तारूढ़ दल के सदस्य दाहिनी ओर बैठते हैं, जबकि विपक्षी दलों के सदस्य लोकसभा के बाईं ओर बैठते हैं।
• राज्यसभा के फर्श पर लाल रंग का कालीन बिछा हुआ है। राज्यसभा में सदस्यों के लिए लगभग 250 सीटें हैं। राज्यसभा में सीटें अर्द्ध वृत्ताकार ढंग से व्यवस्थित की गई हैं ।
• लोक सभा के सदस्य सीधे जनता द्वारा चुने जाते हैं। लोकसभा के प्रत्येक सदस्य की अवधि पांच वर्ष होती है। लोक सभा अध्यक्ष लोकसभा का पीठासीन अधिकारी होता है।
• राष्ट्रपति लोकसभा और राज्यसभा दोनों की संयुक्त बैठक बुला सकते हैं ।
• जी. वी. मावलंकर संसद के प्रथम लोकसभा अध्यक्ष थे ।
• लोकसभा 17 अप्रैल, 1952 को अस्तित्व में आई। इसकी प्रथम बैठक 13 मई, 1952 को आयोजित की गई थी। राज्यसभा संसद की स्थायी सभा है, और इसे भंग नहीं किया जा सकता है। प्रत्येक राज्यसभा का कार्यकाल छह वर्ष है। "
राज्यसभा के कुल सदस्य 250 होते हैं। इन 250 सदस्यों में से 12 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत किए जाते हैं। 3 अप्रैल, 1952 में को राज्यसभा अस्तित्व में आई थी।
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